नर्म मुलायम सी
खुबसूरत सी दिखती है जिन्दगी,
भीतर गर्म लावे सी पिघलती है
पल पल ये जिंदगी ,
मौहौल है मैला मैला सा
हर इंसान है भटका भटका सा,
किस से क्या उम्मीद करूँ
हर तरफ है मायूसी ,
हर चेहरे पर है बेचारगी
हालात ऐसे ही बनाती है जिंदगी,
एतबार जो बहुत था खुद पर
कतरा कतरा बिखर गया,
जाना था किस राह मुझे
कहाँ ले आई मुझे ये जि,न्दगी
गिर के फिर से उठ कर
चलने की जिद करती हूँ,
खीचने को वापस गर्त मे
मचलती है जिंदगी.
मुझे भी जिद है बर्बाद होने की
रोकने से रुकुगी नहीं,
ले ले कितने भी
इम्तिहान ये जिन्दगी.
(चित्र गूगल से साभार )
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मुझे भी जिद है बर्बाद होने की
ReplyDeleteरोकने से रुकुगी नहीं,
ले ले कितने भी
इम्तिहान ये जिन्दगी.
मंजुला जी बहुत सकारात्मक सोच है प्रेरणा देती रचना के लिये बधाई।
thanks ..Nirmalajee....hausala afjai ke liye...
ReplyDeleteइस शानदार रचना पर बधाई ....जैसे मैंने पहले भी कहा है आप कुछ उचाईयों को छूती हैं यही मुझे पसंद आता है ....बहुत सुन्दर भाव भर दिए हैं आपने ....और तस्वीर के चयन में आपकी पसंद की दाद देता हूँ |
ReplyDelete"मुझे भी जिद है बर्बाद होने की
ReplyDeleteरोकने से रुकुगी नहीं,
ले ले कितने भी
इम्तिहान ये जिन्दगी"
सोच को सलाम सभी. रास्ता यही सही है सभी जानते हैं लेकिन मानते नहीं. हम दूसरों को तो नहीं रोक सकते लेकिन खुद उस राह पर चल पायें ....... हार्दिक शुभकामनाएं - सोच और रचना के लिए बधाई.
sakaratmak soch kee misal hai ye rachana..............
ReplyDeleteaabhar
manjulaa ji bahut hi khubsurat shabdon me piroya hai aapane apani kavita ko or bahut hi gahare arth hai har shab ke badhaai
ReplyDeleteik baar or dil chahata hai ki kahun bahut badhiyan aapaki is kavita se bhatake huon ko apani raah talaashne me aasani hogi
ReplyDeleteमंजुला जी बहुत ही बेहतरीन रचना है आपकी....
ReplyDeleteकाफी सारे एहसास झलक रहे हैं...
जाना था किस राह मुझे
ReplyDeleteकहाँ ले आई मुझे ये जि,न्दगी
गिर के फिर से उठ कर
चलने की जिद करती हूँ
very nice.. yu hi likhti rahiye.....
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ReplyDeleteyahi to hai jindagi
ReplyDeletekahte hai khuli kitaab ese
phir bhi aaj talak
kaun pad paayaa ese
bahut khoobsoorat rachna k liy badhaee
आप सभी लोगो को बहुत बहुत धन्यवाद .......
ReplyDeleteजीवन के उतार चड़ाव का नाम ही तो जेंदगी है ... ये तो होता ही रहता है .... निराशा की बात क्यों .... बर्बाद होने की बात क्यों ....
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ....
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ... ...
ReplyDeletebahut khoob.
ReplyDeletekaafir ko banaa deti hai taveez kaa mureed,
ek kabra ko mazaar banaatee hai zindagee.
is kaa bhi intezaam ke bezaar na hon log,
har roz nai aas bandhaati hai zindagee.
सुन्दर रचना
ReplyDeletewaaaahhhhh
ReplyDeletekya imtihaannnnnnnnn
barbaad hone ki jid.........
kya baat haiiiiiiiiiiiiiii