तन्हा सफ़र .......
साथ चलते तो बहुत है
साथ होते बहुत कम है
बहुत कम पढ़ पाते हैं
आपकी हंसी के पीछे जो गम है
उम्र भर साथ चलके
वफ़ा का सबूत मांगते है हमसे
संबंधो का ये बिखरा रूप देखकर
खुद से बहुत सर्मिन्दा आज हम है
कुछ रिश्ते है अब भी है जीवन मे
जो मन को अच्छे लगते हैं '
पर जीवन की इस भागदौड़ मे
उन तक मेरी पहुच बहुत कम है ....
उम्र भर साथ चलके
ReplyDeleteवफ़ा का सबूत मांगते है हमसे
संबंधो का ये बिखरा रूप देखकर
खुद से बहुत सर्मिन्दा आज हम है ...
जीवन की सच्चाई है ये .... अपनी वफ़ाई का, प्यार का सबूत देना पढ़ता है ... पर वो प्रेम कहाँ है फिर ....
बहुत संवेदनशील लिखा है ...
thanks Digambarjee...
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत रचना है ये तो..
ReplyDeleteयूँ ही लिखते रहे...
मेरे ब्लॉग इस बार मेरी रचना ...
स्त्री
बहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeletemanjulaa ji aapaki sabhi rachnaayen mujh tak aa jaati hain or padh kar khush bhi ho leti hun lekin tipapani nahin kar paati par dil se aapako shubhkamanayen jaruru deti hun yun hi likhati rahe yahi kamanaa hai
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