कशमकश बहुत है
मन के अन्दर
खोज खुद की
इतनी आसन तो नहीं
इस कोशिश मे
लगता है
कुछ छुट सा रहा है
जिसको शायद मै
जाने नहीं दे सकती
प्रश्नचिंह सा लगा देता है मन
बहुत सी कोशिशो को
बहुत मजबूती से जमे
संस्कार भी रास्ता रोक लेते हैं
फिर भी एक अजीब सा
आकर्षण है
जो मुझे खिचता है
पूरे वेग से
अपनी और
पता नहीं क्या है
भविष्य की मुट्ठी मे
मेरे लिए
फिर भी चाहती हु
इस पथ पर चलते जाना
जब तक अर्थ न पा लू
इस जीवन का
या फिर जान सकू
उस रहस्य को
जिसे
आत्मा साक्षात्कार
कहा जाता है .
(चित्र गूगल से साभार )