खुद को खोजने का एक सफ़र
हजरों लोगो से रोज़ मिलना जिंदगी का हिस्सा है कभी तन्हाई मे खुद से भी मिलना अच्छा लगता है .
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khud ko khojne ka safar
Thursday, June 30, 2011
दर्पण विश्वास का
चूर हुआ जब
आहात हुआ मन
बदल गया सारा ही जीवन
।
कोई ओर नहीं छोर नहीं
सुलझाऊ कैसे
बुरी तरह
उलझे हुए धागे सा जीवन
।
बहुत सन्नाटा है हर तरफ
संवाद खुद से
भी हुआ मुस्किल
ठहर सा गया है जीवन
।
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