विश्वास की टूटन का अच्छा बिम्ब ,लेकिन जीवन तो चलता है -बिना एहसास औ विश्वास के ज़िंदा हूँ ,इसलिए की जब कभी एहसास लौटें खैरमकदम कर सकूं .अच्छी पोस्ट ,कृपया "आहत"और विश्वास शब्द ठीक कर लें . कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल Friday, August 12, 2011 रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/ बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११ Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
बहुत दिनों बाद आपकी कोई पोस्ट आई ...
ReplyDeleteजीवन उलझता है और फिर सुलझाने ले प्रयास में बीतता जाता है ...अच्छी अभिव्यक्ति
विश्वास टूटने पर कभी न ख़त्म होने वाली कशमकश जीवन को कितना कठिन बना देती है - सच से साक्षात्कार कराती सुंदर रचना
ReplyDeletebahut din baad padha aapko..
ReplyDeletebahut khub...yun hi likhte rahein....
आपका पुनः स्वागत है
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट है आज की
भावपूर्ण रचना जो दिल की गहराइयों से निकली है और दिल को छूती है।
ReplyDeleteकरीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
हाँ संजय मुझे कल ही पता चला की तुम्हारा स्वास्थ खराब है आशा करती हूँ की तुम पूर्ण स्वस्थ जल्दी हो जायोगे
ReplyDeleteआदरनिये संगीता जी ,राकेश कौशिक जी , शेखर ,धन्यवाद कोशिश करुगी अब जादा दिन तक ब्लॉग से दूर न रहू ...
ReplyDeleterachana bahut achhi hai ....
ReplyDeleteJeevan ke katu Satya ko darshaati hai ...
बहुत सुंदर भावाव्यक्ति, बधाई..............
ReplyDeleteबहुत सन्नाटा है हर तरफ
ReplyDeleteसंवाद खुद से
भी हुआ मुस्किल
ठहर सा गया है जीवन ।
bahut hi sunder pangtiyan.........
मंजुला जी, जीवन के सत्य को बखूबी बयां किया है आपने।
ReplyDelete------
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सच है बहुत बार जीवन ठहर जाता है ... पर विशवास की डोर को पकड़ना ही पढता है ...
ReplyDeleteदरअसल हकीकत यही होती है.. लेकिन हम बहाने बनाते हैं कुछ सार्थक ढ़ूंढते रहते हैं।
ReplyDeleteकोई ओर नहीं छोर नहीं
ReplyDeleteसुलझाऊ कैसे
बुरी तरह
उलझे हुए धागे सा जीवन
बहुत गहराई लिए हुए इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें...
नीरज
विश्वास का जीवन में बहुत महत्व है,
ReplyDeleteजीवन उलझ सा जाता है विश्वास के टूट जाने से.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
क्या कहना.. वहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार
कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......
ReplyDeletewaqt har jakhm ka marham hai. is ghaav ko bhi bhar dega.sunder maarmik rachna.
ReplyDeletekhoobsoorat rachna hai....
ReplyDeleteदिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद मर्मस्पर्शी रचना. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
समय और संवाद ही है समस्या का समाधान।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteब्लॉग की 100 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है!
!!अवलोकन हेतु यहाँ प्रतिदिन पधारे!!
so nice post
ReplyDeleteविश्वास की टूटन का अच्छा बिम्ब ,लेकिन जीवन तो चलता है -बिना एहसास औ विश्वास के ज़िंदा हूँ ,इसलिए की जब कभी एहसास लौटें खैरमकदम कर सकूं .अच्छी पोस्ट ,कृपया "आहत"और विश्वास शब्द ठीक कर लें .
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
सुन्दर और सार्थक
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