फीकी पड़ चुकी है
मन की चादर
सोचा इस होली मे
कुछ नए रंग भरू
हरे नीले लाल के संग
कोमल गुलाबी रंग भी भरू
कोशिश की
पर कुछ हो न पाया
कोई भी रंग चढ़ न पाया
कारण खोजा तो जाना
आस पास फैले भ्रस्ट्राचार ,अनाचार
नित होते घोटालो ने
सारे मन आकाश को ढक डाला
सारा अंतर्मन काला कर डाला
तभी कोई रंग
उसपर चढ़ नही पाया
अपने अपने दयारे मे कैद
कब तक घुटेगे इस तरह ?
आईये एकजूट होकर
इन अव्यवस्ताओ से लडे
बड़ा काम न सही
आस पास की गंदगी
को ही साफ़ करे
दाग लगा रहे जो समाज, देश को
ऐसे शख्स को नज़रंदाज़ न करे
व कभी न माफ़ करे
छोड़ कर निजी लड़ाई
देश हित मे काम करे
ताकि फिर से
काले पड़ चुके मन आकाश पर
लाल,पीले हरे ,गुलाबी
सारे के सारे रंग भर सके .
मन की चादर
सोचा इस होली मे
कुछ नए रंग भरू
हरे नीले लाल के संग
कोमल गुलाबी रंग भी भरू
कोशिश की
पर कुछ हो न पाया
कोई भी रंग चढ़ न पाया
कारण खोजा तो जाना
आस पास फैले भ्रस्ट्राचार ,अनाचार
नित होते घोटालो ने
सारे मन आकाश को ढक डाला
सारा अंतर्मन काला कर डाला
तभी कोई रंग
उसपर चढ़ नही पाया
अपने अपने दयारे मे कैद
कब तक घुटेगे इस तरह ?
आईये एकजूट होकर
इन अव्यवस्ताओ से लडे
बड़ा काम न सही
आस पास की गंदगी
को ही साफ़ करे
दाग लगा रहे जो समाज, देश को
ऐसे शख्स को नज़रंदाज़ न करे
व कभी न माफ़ करे
छोड़ कर निजी लड़ाई
देश हित मे काम करे
ताकि फिर से
काले पड़ चुके मन आकाश पर
लाल,पीले हरे ,गुलाबी
सारे के सारे रंग भर सके .
आदरणीय मंजुला जी
ReplyDeleteनमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
यूं तो हर शब्द होली के रंग में भीगा हुआ है ...और यह पंक्ति ...गुलाल के संग एक खूबसूरत सवाल ...होली की शुभकामनाएं ...।।
अतिसुंदर रंगमयी रसपूर्ण रचना.होली के शुभावसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ.
ReplyDeleteदाग लगा रहे जो समाज, देश को
ReplyDeleteऐसे शख्स को नज़रंदाज़ न करे
व कभी न माफ़ करे
छोड़ कर निजी लड़ाई
देश हित मे काम करे
ताकि फिर से
काले पड़ चुके मन आकाश पर
लाल,पीले हरे ,गुलाबी
सारे के सारे रंग भर सके ... bahut sahi vichaar diye hain, shubhkamnayen
बहुत सुन्दर रचना होली के रंगों की बात और समाज पर करारा व्यंग है आपकी कवीता में -वाकई काले रंग पर कोई दूजा रंग नहीं चढ़ता लेकिन हमें इस स्याह रंग को अपनी शक्ति और उर्जा के साथ हटाना होगा और फिर से इन्द्रधनुषी रंग बिखेरने होगें आप यूँ ही लिखती रहे शुभ होली
ReplyDeletebahut achchi lagi,behad bhawpurn.......
ReplyDeleteसामजिक और राजनैतिक सरोकारों को लिए अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteDil ko gahare tak chhu gai.
ReplyDeletebadhai.
अब तो यह सब मानो जीवन का हिस्सा हो चला है।
ReplyDeleteहोली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
ReplyDeleteरंग के त्यौहार में
ReplyDeleteसभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।
आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......
होली की खुब सारी शुभकामनाये........
सुगना फाऊंडेशन-मेघ्लासिया जोधपुर,"एक्टिवे लाइफ"और"आज का आगरा" बलोग की ओर से होली की खुब सारी हार्दिक शुभकामनाएँ..
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
शुभ संकल्प.
ReplyDeleteआईये एकजूट होकर
ReplyDeleteइन अव्यवस्ताओ से लडे
बड़ा काम न सही
आस पास की गंदगी
को ही साफ़ करे .....
Bahut hi sunder vichar
अतिसुंदर रंगमयी रसपूर्ण रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ...यक़ीनन आपकी टिपण्णी से और लिखने का हौसला व अपनी गलतियों का पता भी चलता है
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद् ........
चर्चा मंच पर मेरी रचना को लेन के लिए आदरनिये संगीता स्वरुपजी को
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद् ........
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा अति उत्तम असा लगता है की आपके हर शब्द में कुछ है | जो मन के भीतर तक चला जाता है |
ReplyDeleteकभी आप को फुर्सत मिले तो मेरे दरवाजे पे आये और अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाए |
http://vangaydinesh.blogspot.com/
धन्यवाद
दाग लगा रहे जो समाज, देश को
ReplyDeleteऐसे शख्स को नज़रंदाज़ न करे
व कभी न माफ़ करे
छोड़ कर निजी लड़ाई
देश हित मे काम करे
ताकि फिर से
काले पड़ चुके मन आकाश पर
लाल,पीले हरे ,गुलाबी
सारे के सारे रंग भर सके
bahut sunder vichaar diye hain, shubhkamnayen
आस पास फैले भ्रस्ट्राचार ,अनाचार
ReplyDeleteनित होते घोटालो ने
सारे मन आकाश को ढक डाला
सारा अंतर्मन काला कर डाला .....
..दाग लगा रहे जो समाज, देश को
ऐसे शख्स को नज़रंदाज़ न करे
व कभी न माफ़ करे
छोड़ कर निजी लड़ाई
देश हित मे काम करे
पहली बार आपकी पोस्ट पे आया .
क्या बात है! बहुत ही सुन्दर......
दिल को छू गई प्रस्तुति!!
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , हिंदी ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सार्थक है. निश्चित रूप से आप हिंदी लेखन को नया आयाम देंगे.
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग लेखको को संगठित करने व हिंदी को बढ़ावा देने के लिए "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की stha आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
Utam-***
ReplyDeleteआदरणीय मंजुला जी सुन्दर कविता.. होली पर विचारों में शुद्धता आये और सरोकारों में सामाजिक पण आयी यही कामना है आपकी कविता में जो कविता को श्रेष्ठ बनती है... देर से ही सही.. होली की शुभकामना...
ReplyDeleteआईये एकजूट होकर
ReplyDeleteइन अव्यवस्ताओ से लडे
बड़ा काम न सही
आस पास की गंदगी
को ही साफ़ करे
आपका संकल्प सराहनीय है.
नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
ReplyDeleteMAN KO JO RANG SAKE WAHI BARA RANGRAAJ....
ReplyDeleteSANKALP AAPKA HAMARE LIYE UDAHARAN HAI AUR HAM BHI KOSHISH KARENGE USKA NIRBAH KARNE KI.
इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं...
ReplyDeleteअतिसुंदर रंगमयी रसपूर्ण रचना.
ReplyDeleteहोली के शुभावसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ.
मनभावन रचना बधाई।
ReplyDelete---------
प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
व्यस्तता के कारण देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् और आशा करता हु आप मुझे इसी तरह प्रोत्सन करते रहेगे
दिनेश पारीक
दोस्तों, क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से (http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html )
ReplyDeleteश्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
ReplyDeleteहोली पर लिया गया संकल्प बहुत ही अच्छा है ... होली के रंगों को सामाजिक परिस्थिति से जोड़ कर तुमने एक बहुत ही सटीक रचना लिखी है .... तुम्हे बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteप्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
ReplyDeleteदोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
आपसे मैं पूरी तरह सहमत हूँ इन्हें मासाहारी नहीं अपितु मुर्दाखोर कहें तो ज्यादा अच्छा होगा | आज जिस तरह हमारे कुछ मुस्लिम ब्लोगेर अपने कुतर्कों द्वारा इसे उचित बता रहे है ये निंदनिया है | बहुत ही सार्थक लेखन है आपका ! आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !!
ReplyDeleteवेदों में कहीं भी इसका समर्थन नहीं किया है ये तो इन मुर्दा खोरों ने अर्थ का अनर्थ कर के इनका गलत मतलब निकाला है |
मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
ReplyDeleteदिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो