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khud ko khojne ka safar

Thursday, June 30, 2011

                          
                          दर्पण विश्वास का
                                       चूर हुआ जब                                                                      आहात हुआ मन 
         बदल गया सारा ही जीवन 
                               
                         कोई ओर नहीं छोर नहीं   
                                 सुलझाऊ कैसे  
                                   बुरी तरह 
                          उलझे हुए धागे सा जीवन 
   
                             बहुत सन्नाटा है हर तरफ                   
                                    संवाद खुद से 
                                  भी हुआ मुस्किल 
                              ठहर सा गया है जीवन 

26 comments:

  1. बहुत दिनों बाद आपकी कोई पोस्ट आई ...

    जीवन उलझता है और फिर सुलझाने ले प्रयास में बीतता जाता है ...अच्छी अभिव्यक्ति

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  2. विश्वास टूटने पर कभी न ख़त्म होने वाली कशमकश जीवन को कितना कठिन बना देती है - सच से साक्षात्कार कराती सुंदर रचना

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  3. bahut din baad padha aapko..
    bahut khub...yun hi likhte rahein....

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  4. आपका पुनः स्वागत है
    बहुत सुंदर पोस्ट है आज की

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  5. भावपूर्ण रचना जो दिल की गहराइयों से निकली है और दिल को छूती है।

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  6. करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  7. हाँ संजय मुझे कल ही पता चला की तुम्हारा स्वास्थ खराब है आशा करती हूँ की तुम पूर्ण स्वस्थ जल्दी हो जायोगे

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  8. आदरनिये संगीता जी ,राकेश कौशिक जी , शेखर ,धन्यवाद कोशिश करुगी अब जादा दिन तक ब्लॉग से दूर न रहू ...

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  9. rachana bahut achhi hai ....
    Jeevan ke katu Satya ko darshaati hai ...

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  10. बहुत सुंदर भावाव्यक्ति, बधाई..............

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  11. बहुत सन्नाटा है हर तरफ
    संवाद खुद से
    भी हुआ मुस्किल
    ठहर सा गया है जीवन ।
    bahut hi sunder pangtiyan.........

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  12. मंजुला जी, जीवन के सत्‍य को बखूबी बयां किया है आपने।

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  13. सच है बहुत बार जीवन ठहर जाता है ... पर विशवास की डोर को पकड़ना ही पढता है ...

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  14. दरअसल हकीकत यही होती है.. लेकि‍न हम बहाने बनाते हैं कुछ सार्थक ढ़ूंढते रहते हैं।

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  15. कोई ओर नहीं छोर नहीं
    सुलझाऊ कैसे
    बुरी तरह
    उलझे हुए धागे सा जीवन


    बहुत गहराई लिए हुए इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  16. विश्वास का जीवन में बहुत महत्व है,
    जीवन उलझ सा जाता है विश्वास के टूट जाने से.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  17. क्या कहना.. वहुत सुंदर
    आभार

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  18. कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......

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  19. waqt har jakhm ka marham hai. is ghaav ko bhi bhar dega.sunder maarmik rachna.

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  20. दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद मर्मस्पर्शी रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  21. समय और संवाद ही है समस्या का समाधान।

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  22. बहुत ही सुन्दर

    ब्लॉग की 100 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है!

    !!अवलोकन हेतु यहाँ प्रतिदिन पधारे!!

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  23. विश्वास की टूटन का अच्छा बिम्ब ,लेकिन जीवन तो चलता है -बिना एहसास औ विश्वास के ज़िंदा हूँ ,इसलिए की जब कभी एहसास लौटें खैरमकदम कर सकूं .अच्छी पोस्ट ,कृपया "आहत"और विश्वास शब्द ठीक कर लें .
    कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
    Friday, August 12, 2011
    रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .

    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
    Early morning smokers have higher cancer रिस्क.

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