आज कुछ लिखने का मन हुआ ,अभी कुछ दिनों से मै अपने दादाजी के घर गयी हुई थी जोकि पटना से कोई 20 किलोमीटर की दुरी पर है ,असल मे मेरे चाचाजी के बेटे की शादी थी ,मेरे पिताजी भेल भोपाल मे जॉब के चलते भोपाल मे ही बस गए थे ,हमारा वो पुस्तैनी घर से रिश्ता बस शादी या कोई दुर्घटना के समय पहुच जाना जितना ही रह गया था ...फिर मेरी शादी के बाद ये सिलसिला भी मेरे हाथ से चला गया था ,अब जब ये मौका मिला घर खानदान की आखरी शादी मे शामिल होने का तो मै खासी उत्साहित थी ट्रेन मे बैठे बैठे सारे पल बचपन के जो हमने वहां बिताये थे आँखों के सामने घुमने लगे ,वहां कुछ दिन बिताने के बाद मेरा सारा उत्साह ठंडा पड चूका था ..फिर जो कविता निकली मन से वो आपसे शेयर कर रही हूँ .
बरसो बाद
अपने घर लौटना हुआ
अजीब सी ख़ुशी थी
पलके भीगी हुई थी
सबने गले लगाया
कुछ उलाहना भी दिया
फिर कुछ घंटो मे ही
अनुमान हो गया
जिस चीज़ की खोज
मुझे यहाँ लायी थी
वो लगाव तो कहीं खो गया
उनके चेहरों पर था एक डर
अनजाना सा
समझ पाई तब जाना
उन्हें लगा था मै कहीं
उस जायजाद की बात न करू
जो मेरे पिता ने कभी मागी नहीं
तब मुझे अहसास हुआ
बचपन मै जो आंगन
बहुत बड़ा हुआ करता था
हम ढेर सारे भाई बहन
को अपनी गोद मै लिए
खिलखिलाता था
आज अचानक मुझे
छोटा छोटा क्यों लगा
मन ही मन मै मुस्कुराई
बहुत देर से ही सही
मै ये गूढ़ रहस्य समझ तो पाई
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
उनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
प्यार ,यादे ,रिश्ते भी जायदाद है
कभी कभी बड़े भी नही समझ पाते हैं
मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
अपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई
PARIWARIK LAMHE SHERE KARNE KE LIYE .....BAHUT BAHUT SHUKRIYA
ReplyDeleteशब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
ReplyDeletethanks sanju....haan ye bhi pariwar hi hai isliye ni sankoch maine share kiya....
ReplyDeleteबरसो बाद
ReplyDeleteअपने घर लौटना हुआ
अजीब सी ख़ुशी थी
...........घर लोटने की ख़ुशी का अहसास ही अलग होता है
आदरणीय मंजुला जी,
ReplyDeleteआपको भी "मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये!
आदरणीय मंजुला जी,
ReplyDeleteआपने तो मुझे भी अपने गाव की याद दिला दी आपका आभारी
आदरणीय मंजुला जी,
ReplyDeleteआपने तो मुझे भी अपने गाव की याद दिला दी आपका आभार
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
ReplyDeleteउनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
आज के पारिवारिक संबंधों पर बहुत सटीक और भावपूर्ण टिप्पणी..बहुत सुन्दर.
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
ReplyDeleteउनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
प्यार ,यादे ,रिश्ते भी जायदाद है
कभी कभी बड़े भी नही समझ पाते हैं
मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
अपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई
बहुत सुन्दर और संवेदनात्मक अभिव्यक्ति है आपकी.
मंजुला जी ,
ReplyDeleteजिंदगी का एक बहुत बड़ा सच उजागर किया है आपने अपनी रचना में। अनजाने भय से ग्रस्त होकर , आपसी प्यार भी खो देते हें लोग ।
खूबसूरत भावनात्मक पंक्तियां
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअनजाने भय अक्सर मनआंगन को छोटा कर देते है।
ReplyDeleteउन्हें भयमुक्त किया होगा तो शायद रिश्तों में उष्मा और बढेगी।
कुछ खोने के डर के कारण ही आदमी बहुत कुछ खो देता है।
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
ReplyDeleteउनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
अच्छा ही हुआ आप उस सच को जान आई जो शायद वहाँ गये व रहे बगैर कभी समझ नहीं आ पाता.
फाण्ट सुधार दिये हैं । अब देखकर बताईयेगा.
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
ReplyDeleteउनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
प्यार ,यादे ,रिश्ते भी जायदाद है
बहुत सटीक बात कही ...अच्छी अभिव्यक्ति
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
ReplyDeleteउनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
सही कहा.. घर छोटे या बड़े नहीं होते रहने वाले उसे छोटा-बड़ा करते हैं...सच बयां करती सुंदर रचना
bahut hi bhavpoorn kavita .bahut bahut shubhkamnayen .nootan varsh ki saprivar shubhkamnayen
ReplyDeleteमै ये गूढ़ रहस्य समझ तो पाई
ReplyDeleteघर बड़ा या छोटा नहीं होता
उनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
आदरणीय मंजुला जी,
कितनी बेबाकी और सच्चाई से आपने हर एक शब्द को भाव के अनुकूल ढाला है ...जीवन की सच्चाई को सामने लाया है ..हर एक पंक्ति गहरा अर्थ संप्रेषित करती है, आपसी प्यार दौलत में कैसे दब जाता है, सटीक रचना ...आभार
आपके ब्लाग आकर मुझे तो खुश मिली है
ReplyDelete"मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
मंजुला जी,
ReplyDeleteआपका पोस्ट दिल को स्पंदित कर गया। कुछ आपके जैसे विचार मेरे अंतर्मन को प्रभावित कर गए हैं। मेरा भी गांव विहार के बक्सर जिले में है। मैं भी इन समस्याओं से ग्रसित हूं। मेरा अगला संस्मरण अवश्य देखिएगा। धन्यवाद।
मंजुला जी वापसी मुबारक हो। जहां रिश्ते तब्दील हो जाएं वहां से वापसी ही बेहतर होती है। रचना सुंदर रही।
ReplyDeleteबहुत सुंदर .
ReplyDeleteमंजुला जी,
ReplyDeleteआपकी कविता आज की सच्चाई है !
आपकी कविता की ये पंक्तियाँ मन को छू गई !
`मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
अपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई `
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
रोचक लेखन।खूबसूरत प्रस्तुति.रचना सुंदर रही।
ReplyDeletenice post.
ReplyDeleteये कपड़े तंग सिलवाना तुझे ज़ेबा नहीं देता
किसी के दिल को तड़पाना तुझे ज़ेबा नहीं देता
गले में डाल दे बांहें मिला दे सांस से सांसें
लबे मंज़िल से लौटाना तुझे ज़ेबा नहीं देता
nice post.
ReplyDeleteये कपड़े तंग सिलवाना तुझे ज़ेबा नहीं देता
किसी के दिल को तड़पाना तुझे ज़ेबा नहीं देता
गले में डाल दे बांहें मिला दे सांस से सांसें
लबे मंज़िल से लौटाना तुझे ज़ेबा नहीं देता
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
... bahut sundar !!!
ReplyDeleteहम ही समेटे रहे वो यादें
ReplyDeleteढूँढने निकले तो देखा
सब खो गया है......... नम एहसासों को मैंने भी जीया है
मेरे हिस्से का सूरज ..
ReplyDeletevatvriksh ke liye apni is shirshakwali rachna bhejiye parichay, tasweer, blog link ke saath ...
rasprabha@gmail.com per
प्यार ,यादे ,रिश्ते भी जायदाद है
ReplyDeleteकभी कभी बड़े भी नही समझ पाते हैं
मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
अपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई
itni bhawpurn aur sachchi kavita hai ,aankhen bhar gayeen.
मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
ReplyDeleteअपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई
मंजुला जी गहरे जज्बातों से भारी हुई सुंदर कविता .बहुत ही भावपूर्ण कविता.
फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
रमिया काकी
मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
ReplyDeleteअपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई
यही तो सबसे सच्ची खुशीहोती है और यही सबसे बडा हिस्सा मगर दुनिया ना जाने कैसे झूठे दंभ मे डूबी रहतीहै।
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए न अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया.... आपलोगों की एक से एक रचनाये पढ़कर बहुत कुछ सिखने की कोशिस कर रही हूँ ...
ReplyDelete..
बहुत सुंदरता से भावों का निरूपण!
ReplyDeleteभावपूर्ण खू्बसू्रत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
देर से ही सही , यह गूढ़ रहस्य समझ पायी ...
ReplyDeleteघर छोटा या बड़ा नहीं होता , उसमे रहने वाले इंसान इसे छोटा कर देते हैं ...
अपनों के बेगानेपन से बड़ा कोई दुःख नहीं होता ...
संवेदनशील अभिव्यक्ति !
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
ReplyDeleteउनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
bilkul sach kaha aapne!
waise ye pariwarik parivesh sayad sabke saath aisa hi hai...koi nahi...manjula jee!!
kavita bahut bhawpurn ban padi hai..
nav varsh ki subhkamnayen...
ReplyDeleteaur ab barabar aaunga...
gahre bhavo se saji kavita.
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti.
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut bahut sukriya ...wada hai aur achha likhne ki kosis karugi......
ReplyDeleteस्त्री का बाहर-भीतर सब प्रेममय होता है। ज़मीन-जायदाद मर्दों की तिकड़म है।
ReplyDeleteNAYA SAAL 2011 CARD 4 U
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please open it
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”LIFE”
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“ROSE”
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“beautifl”
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Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है!
भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज ।
ReplyDeleteबेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
ReplyDeleteतय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
2011 का आगामी नूतन वर्ष आपके लिये शुभ और मंगलमय हो,
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं सहित...
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDelete........
नव वर्ष 2011
आपके एवं आपके परिवार के लिए
सुख-समृद्धिकारी एवं
मंगलकारी हो।
।।शुभकामनाएं।।
नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो...हार्दिक शुभकामनाएं....
ReplyDeleteकुछ नया पोस्ट करिए....नए साल में आपके ब्लाग में भी शामिल हो गई
thanks veenajee...aapko bhi nav varsh ki bahut subhkamnaye .........
ReplyDeletehaan jarur kosish karti hoon jaldi post karu..
बचपन छोड़ कर जब इंसान बड़ा होता है तो ऐसी कई बातें सामने आती हैं .. ये जीवन का यथार्थ है ....
ReplyDeleteआपको और परिवार में सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ...
bahut hi marmik or sundar kavitaa likhane vale kaise choti choti baton me se bhi vishy khoj lete hain --na jane kaise pal me badal jate hain ye duniyaa ke badalate rishate hai naa --badhaai is post ke liye
ReplyDeletenice blog
ReplyDeleteMusic Bol
Lyrics Mantra
आज के पारिवारिक संबंधों पर बहुत सटीक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति| शुभकामनाएं|
ReplyDeletesundar rachana
ReplyDelete"मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
ReplyDeleteअपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई"
तन को बेधकर अंतर्मन में समाती और आज की सच्चाई को बयां करती - सच्ची, मर्मस्पर्शी एक उत्कृष्ट कृति - साधुवाद
आपकी नई रचना के इंतजार में...
ReplyDeleteआप को वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
सादर,
डोरोथी.
सच वो जान भी न पाए और आप बेशकीमती दौलत ले आयीं अपने साथ जो आपसे कभी कोई वापस नहीं ले सकता है
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआदरणीया मंजुला जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
बरसों बाद
अपने घर लौटना …
अजीब सी ख़ुशी …
पलके भीगी हुई …
बचपन की यादें बहुत सुखद होती हैं …
जिस चीज़ की खोज
मुझे यहां लाई थी
वो लगाव तो कहीं खो गया
उनके चेहरों पर था एक डर
अनजाना सा
यह है युग परिवर्तन …
घर घर का किस्सा है ,
रिश्ते समाप्त हो रहे हैं ,
परिवारों में विखंडन हो रहा है ,
दूरियां बढ़ रही हैं …
घर बड़ा या छोटा नहीं होता
उनमे रहने वाले
उसे छोटा करते या विस्तार देते है
प्यार ,यादे ,रिश्ते भी जायदाद है
कभी कभी बड़े भी नही समझ पाते हैं
मै अपना हिस्सा अपने साथ ले आई....
अपनी बचपन की सारी यादो को
समेटकर मै वापस चली आई
आप-हम जैसे भावुक हृदय लोगों के कारण फिर भी स्थिति का संतुलन कायम रहता है
अच्छे भाव अच्छी कविता के लिए बधाई आभार !
…लेकिन , अब नई पोस्ट भी तो लगाएं … :)
ज़्यादा पुरानी बात नहीं हुई , चार दिन विलंब से ही सही …
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
नेह और अपनेपन के
ReplyDeleteइंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप सभी को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.