तुमसे मिलना ,
एक अजीब इतफाक था
अँधेरे मे गूम होते
मेरे अस्तित्व
को एक सूरज तुमने दिया था
जिसकी रौशनी मे
मैंने खुद को जाना
जीवन ख़तम नहीं हुआ
इस बात को भी पहचाना
अजीब मंज़र था वो भी
अपना हाल
किसी को भी न सुनाने वाली लड़की
एक अजनबी के सामने
तार तार होके बिखर गयी थी
तुमने बहुत ख़ामोशी
से सबकुछ सुना था
तुम्हरी मदद से
मैंने वापस जिंदगी का
ताना बाना बुना था
तुम्हारा संतावना देता स्पर्श
आज भी महसूस करती हूँ
आज भी जब भी अँधेरा होता है
वो सूरज रोशन करता है जीवन
जो तुमने मुझे दिया था
तब मैंने जाना था
एक पुरुष और स्त्री
का सम्बन्ध
ऐसा भी हो सकता है
अगर इसे नाम देना
जरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज .
... prasanshneey rachanaa !!!
ReplyDeletemanjula ji, kya kahoon shabd hi nahin hain mere paas...
ReplyDeletebahut hi sundar lekhan... badhayi.....
मुट्ठी भर आसमान...
thanks shekhar .....
ReplyDeleteअगर इसे नाम देना जरुरी हो तो कह सकती हूँ
ReplyDeleteतुम हो मेरे हिस्से का सूरज.
बहुत बढिया रचना. सुन्दर प्रस्तुति. शब्दों का शानदार सफर.
मंजुला जी बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने ,हमसभी को अपने जीवन में इक ऐसे सूरज की तलाश हमेशा होती है जो हमारे मनके अंधियारों से हमें मुक्त करे आपने उस सूरज को अपने हिस्से का सूरज कह करउस सूरज का भी मान बढाया है और सूरज के कारण कविता में चार चाँद लग गए हैं बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteतुमने बहुत ख़ामोशी
ReplyDeleteसे सबकुछ सुना था
तुम्हरी मदद से
मैंने वापस जिंदगी का
ताना बाना बुना था
तुम्हारा संतावना देता स्पर्श
आज भी महसूस करती हूँ
आज भी जब भी अँधेरा होता है
वो सूरज रोशन करता है जीवन
जो तुमने मुझे दिया था
तब मैंने जाना था
एक पुरुष और स्त्री
का सम्बन्ध
ऐसा भी हो सकता है
अगर इसे नाम देना
जरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज
आपकी उपर्युक्त पंक्तियों में कविता की जान बसी है.
अहा,क्या बात है
मंजुला जी आपके ब्लॉग पर पहली बार आया.. आपकी कविता जीवन और सम्भावना से भरी है.. सुन्दर रचना है आपके हिस्से का सूरज.. आप सरल शब्दों में गहरी बात कहने की क्षमता रखती हैं..
ReplyDeleteतुमने बहुत ख़ामोशी
ReplyDeleteसे सबकुछ सुना था
तुम्हरी मदद से
मैंने वापस जिंदगी का
ताना बाना बुना था
तुम्हारा संतावना देता स्पर्श
आज भी महसूस करती हूँ
आज भी जब भी अँधेरा होता है
वो सूरज रोशन करता है जीवन
जो तुमने मुझे दिया था
तब मैंने जाना था
एक पुरुष और स्त्री
का सम्बन्ध
ऐसा भी हो सकता है
अगर इसे नाम देना
जरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज ...........
मंजुला जी आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ .......
सुन्दर रचना ..........
अशोक मिश्र जी ,अरुण चन्द्र राइ साहब ,ममताजी ,कुंवर जी ,मेरे ब्लॉग तक आने के लिए व हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...आप आगे भी आते रहे मार्गदर्शन करे यही आशा है ....
ReplyDeleteधन्यवाद
मंजुला
अँधेरे मे गूम होते
ReplyDeleteमेरे अस्तित्व
को एक सूरज तुमने दिया था
जिसकी रौशनी मे
मैंने खुद को जाना
गहन भावों से ओत प्रोत रचना ...बहुत खूब
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
अति उत्तम भाव
ReplyDeleteब्लागिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला आधिकारिक रपट
मंजुला जी बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने
ReplyDeleteतुमसे मिलना ,
ReplyDeleteएक अजीब इतफाक था
अँधेरे मे गूम होते
मेरे अस्तित्व
को एक सूरज तुमने दिया था
बहुत ही सुंदर ....... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
बहुत देर से पहुँच पाया .......माफी चाहता हूँ..
उम्दा प्रस्तुति.
ReplyDeleteawwww........sooooooo sweet....kinni acchi nazm hai, bohot khoobsurat hai manjula ji, bohot accha laga aapko padhkar
ReplyDeletesabhi logo ka bahut bahut sukriya ...mere blog tak aane ke liye...
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteek behad acche ant ne kavita ko raushan kar diya hai ...shubhkamnayen...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteह्र्दय्स्पर्षी सुन्दर रचना ! मेरे ब्लोग पर भी आएं व फ़ोलो करें !
ReplyDeleteअच्छी रचना लफ्जो का सुंदर उपयोग !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया .........
आप की रचनाये मार्मिकता से ओत प्रोत है
ReplyDeleteअति सुंदर रचना है .
ReplyDeletebahut hi sundar rachna..
ReplyDeletemere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
.
ReplyDeleteप्रिय मंजुला ,
मेरा भी सफ़र जारी है , खुद को खोजने का। हर पल बदलते रिश्ते और नए नए अनुभव इस सफ़र को अग्नि-परीक्षा जैसा बना देते हैं।
इस बहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार।
दिव्या।
.
हिस्से के सूरज या
ReplyDeleteसूरज ।
प्रशंसनीय रचना ।
आदरणीय मंजुला जी
ReplyDeleteतुमसे मिलना ,
एक अजीब इतफाक था
बहुत सुन्दर कविता
आप से निवेदन है कि मेरी पोस्ट "जानिए पासपोर्ट बनवाने के लिए हर जरूरी बात" देखियेगा और अपने अनुपम विचारों से हमारा मार्गदर्शन करें.
ReplyDeleteआप भी सादर आमंत्रित हैं,
http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com पर आकर
हमारा हौसला बढाऐ और हमें भी धन्य करें .......आपका अपना
सुन्दर भाव !
ReplyDelete-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
wah.itni komalta se likhi hai aapne ki kahne ko shabd hi nahin.
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