हजरों लोगो से रोज़ मिलना
जिंदगी का हिस्सा है
कभी तन्हाई मे खुद से भी मिलना
अच्छा लगता है .
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khud ko khojne ka safar
Wednesday, March 17, 2010
छोड़ कर कल का अँधेरा , एक लम्बी सांस लो, बीत गया सो बीत गया , आज फिर एक नयी आस लो, रास्ता मुस्किल तो क्या, फासला जादा तो क्या , मंजिल मिलेगी जरुर , मन मै ये विस्वास लो ,
कम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com