हजरों लोगो से रोज़ मिलना
जिंदगी का हिस्सा है
कभी तन्हाई मे खुद से भी मिलना
अच्छा लगता है .
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khud ko khojne ka safar
Wednesday, March 17, 2010
मुझे अच्छा लगता है खुद से बातें करना, तन्हाई मै बैठ कर खुद से सवाल जवाब करना थक गई थी खुद को दुनिया की नज़र से देख कर, बहुत अद्भुत था वो खुद से मिल के देखना .
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..