फिर एक कोशिश कुछ लिखने की
शिकायत बहुत थी की
ठहरी सी है ज़िन्दगी
कुछ ऐसी हलचल हुई कि
सबकुछ धुन्दला सा गया
अब वापस इंतज़ार है
लहरो के शांत हो जाने का
ताकि फिर समझ सकू
कि आगे क्या है ज़िन्दगी के
पिटारे मे मेरे लिए
फिर कोई नई उम्मीदी ?
या फिर एक नया सवेरा
या फिर फिर एक सफर
बेनाम सा ,बेमतलब सा
कभी कभी लगता है
ठोस जमीन कि मेरी तलाश
सिर्फ तलाश ही बन के रह जाए
हमेशा कि तरह ..
आपकी इस पोस्ट को आज के ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है..
ReplyDeleteलाजवाब अहसास..बेहतरीन भावपूर्ण नज़्म..आभार
ReplyDeletehttps://www.dileawaaz.in/
ReplyDeletechack out my page u will love it.