Pages

khud ko khojne ka safar

Tuesday, July 13, 2010

मुझे मेरे हाल पर छोड़ क्यों नहीं देते ,
नाम का बचा है जो रिश्ता उसे भी तोड़ क्यों नहीं देते ,

जब भी मिलते हो हम बहुत ख़ास है ये ही बताते हो ,
कब तक पहनोगे ये नकाब ?इसे उतार क्यों नहीं देते ,

बहुत अजीब रूहानी सा एक रिश्ता जोड़ा था तुमसे ,
वो मेरा पागलपण था ये एक बार मुझे कह क्यों नहीं देते ,

न चाहते हुए भी बहुत इंतज़ार होता है तुम्हारा,
अब कभी लौट के न आओगे ये एक बार कह क्यों नहीं देते .

3 comments:

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  2. आप ने बहुत कमाल की गज़ले कही हैं

    ReplyDelete
  3. ना कोई गम है ना तकदीर में जुदाई है,
    हमारे प्यार की सदियों से आशनाई है,

    मेरी नज़र में दिल में विश्राम है तेरा,
    लिखा हुआ मेरे चेहरे पे नाम है तेरा..!

    ReplyDelete