मुझे मेरे हाल पर छोड़ क्यों नहीं देते ,
नाम का बचा है जो रिश्ता उसे भी तोड़ क्यों नहीं देते ,
जब भी मिलते हो हम बहुत ख़ास है ये ही बताते हो ,
कब तक पहनोगे ये नकाब ?इसे उतार क्यों नहीं देते ,
बहुत अजीब रूहानी सा एक रिश्ता जोड़ा था तुमसे ,
वो मेरा पागलपण था ये एक बार मुझे कह क्यों नहीं देते ,
न चाहते हुए भी बहुत इंतज़ार होता है तुम्हारा,
अब कभी लौट के न आओगे ये एक बार कह क्यों नहीं देते .
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ReplyDeleteआप ने बहुत कमाल की गज़ले कही हैं
ReplyDeleteना कोई गम है ना तकदीर में जुदाई है,
ReplyDeleteहमारे प्यार की सदियों से आशनाई है,
मेरी नज़र में दिल में विश्राम है तेरा,
लिखा हुआ मेरे चेहरे पे नाम है तेरा..!