खुद को खोजने का एक सफ़र
हजरों लोगो से रोज़ मिलना जिंदगी का हिस्सा है कभी तन्हाई मे खुद से भी मिलना अच्छा लगता है .
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khud ko khojne ka safar
Monday, March 30, 2009
रिस्तो की भीड़ मे कोई अपना सा क्यों लगता नहीं,
सायद मेरी खावाहिशो ने ही सबको बेगाना कर दिया
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