बहुत भीड़ है
पर अकेलापन है
दिखते साथ है
पर कोई साथ नहीं है
मेरे हिस्से का सुकून
चुरा के पूछता है
तबियत आपकी
नासाज़ क्यों है
सोचती हु लौट चलू
अतीत की ओर
पर वहां किसी को
मेरा इंतज़ार नहीं है
बुलाती है पास जो राहे
मंज़िल का पता उनके पास नहीं है
मंजुला
खुद को खोजने का एक सफ़र
हजरों लोगो से रोज़ मिलना जिंदगी का हिस्सा है कभी तन्हाई मे खुद से भी मिलना अच्छा लगता है .
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khud ko khojne ka safar
Thursday, May 31, 2018
Thursday, May 22, 2014
फिर एक कोशिश कुछ लिखने की
शिकायत बहुत थी की
ठहरी सी है ज़िन्दगी
कुछ ऐसी हलचल हुई कि
सबकुछ धुन्दला सा गया
अब वापस इंतज़ार है
लहरो के शांत हो जाने का
ताकि फिर समझ सकू
कि आगे क्या है ज़िन्दगी के
पिटारे मे मेरे लिए
फिर कोई नई उम्मीदी ?
या फिर एक नया सवेरा
या फिर फिर एक सफर
बेनाम सा ,बेमतलब सा
कभी कभी लगता है
ठोस जमीन कि मेरी तलाश
सिर्फ तलाश ही बन के रह जाए
हमेशा कि तरह ..
Tuesday, October 9, 2012
श्री राजीव दीक्षित ,
मैंने राजीव भाई का व्याख्यान सुना बल्कि रोज़ सुन रही हूँ ,बहुत सी
जानकारी मिली व जीवन को खुद से ऊपर उठकर देखने की चाहत तो थी पर कोई
रास्ता कभी नही मिला जो मेरे जैसे आम इंसान के लिए सहज हो .. राजीव भाई को
सुनकर लगा की हाँ एक किरण मिल गयी है आशा की ,सोचा बहुत अच्छी बात है
आपलोगों से बांटा जाए .
श्री राजीव दीक्षित उनका जीवन व कार्य
स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता, चिन्तक , जुझारू निर्भीक व सत्य को द्रढ़ता से रखने की लिए पहचाने जाने वाले भाई राजीव दीक्षित जी 30 नवम्बर 2010 को भिलाई (छत्तीसगढ़ ) में शहीद हो गए | वे भारत स्वाभिमान और आज के स्वदेशी आन्दोलन के पहले शहीद हैं | राजीव भाई भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे | 1 दिसंबर को अंतिम दर्शन के लिए उनको पतंजलि योगपीठ में रखा गया था | राजीव भाई के अनुज प्रदीप दीक्षित और परमपूज्य स्वामीजी ने उन्हें मुखाग्नि दी | परमपूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज व आचार्य बालकृष्णजी ने राजीव भाई के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है | संपूर्ण देश में 1 दिसंबर को ३ बजे श्रधांजलि सभा का आयोजन किया गया |
राजीव भाई के बारे में
राजीव भाई पिछले बीस वर्षों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे | वे भारत को पुनर्गुलामी से बचाना चाहते थे | वे उत्तरप्रदेश के नाह गाँव में जन्मे थे | उनकी प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद में हुयी उसके बाद 1984 में उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहबाद गए | वे सैटेलाईट टेलीकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे लेकिन अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़कर देश को विदेशी कंपनियों की लूट से मुक्त कराने और भारत को स्वदेशी बनाने के आन्दोलन में कूद पड़े | शुरू से वे भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे | बाद में जब उन्होंने गांधीजी को पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए |
भारत को स्वदेशी बनाने में उनका योगदान
पिछले २० वर्षों में राजीव भाई ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सीखा उसके बारे में लोगों को जाग्रत किया | अँगरेज़ भारत क्यों आये थे, उन्होंने हमें गुलाम क्यों बनाया, अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता, हमारी शिक्षा और उद्योगों को क्यों नष्ट किया, और किस तरह नष्ट किया| इस पर विस्तार से जानकारी दी ताकि हम पुनः गुलाम ना बह सकें | इन बीस वर्षों में राजीव भाई ने लगभग 15000 से अधिक व्याख्यान दिए जिनमें कुछ हमारे पास उपलब्ध हैं| आज भारत में लगभग 5000 से अधिक विदेशी कंपनियां व्यापार करके हमें लूट रही हैं| उनके खिलाफ स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की | देश में सबसे पहली स्वदेशी-विदेशी सूची की सूची तैयार करके स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया| 1991 में डंकल प्रस्तावों के खिलाफ घूम घूम कर जन जाग्रति की और रेलियाँ निकाली | कोका कोला और पेप्सी जैसे पेयों के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की |
1991-92 में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कंपनी के शराब कारखानों को बंद करवाने में भूमिका निभाई |1995-96 में टिहरी बाँध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चा और संघर्ष किया जहाँ भयंकर लाठीचार्ज में काफी चोटें आई | टिहरी पुलिस ने तो राजीव भाई को मारने की योजना भी बना ली थी| उसके बाद 1987 में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात गाँधीवादी, इतिहासकार धर्मपाल जी के सानिध्य में अंग्रेजो के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके देश को जाग्रत करने का काम किया | पिछले 10 वर्षों से परमपूज्य स्वामी रामदेवजी के संपर्क में रहने के बाद 9 जनवरी 2009 को परमपूज्य स्वामीजी के नेतृत्व में भारत स्वाभिमान आन्दोलन का जिम्मा अपने कन्धों पर ले जाते हुए 30 नवम्बर 2010 को छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में भारत स्वाभिमान की रन भूमि में शहीद हुए |
सभी देश प्रेमियों और आन्दोलन में साथ देने के इक्छुक साथियो से अनुरोध है की कृपया इस फॉर्म में अपना विवरण भर दे,
श्री राजीव दीक्षित उनका जीवन व कार्य
स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता, चिन्तक , जुझारू निर्भीक व सत्य को द्रढ़ता से रखने की लिए पहचाने जाने वाले भाई राजीव दीक्षित जी 30 नवम्बर 2010 को भिलाई (छत्तीसगढ़ ) में शहीद हो गए | वे भारत स्वाभिमान और आज के स्वदेशी आन्दोलन के पहले शहीद हैं | राजीव भाई भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे | 1 दिसंबर को अंतिम दर्शन के लिए उनको पतंजलि योगपीठ में रखा गया था | राजीव भाई के अनुज प्रदीप दीक्षित और परमपूज्य स्वामीजी ने उन्हें मुखाग्नि दी | परमपूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज व आचार्य बालकृष्णजी ने राजीव भाई के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है | संपूर्ण देश में 1 दिसंबर को ३ बजे श्रधांजलि सभा का आयोजन किया गया |
राजीव भाई के बारे में
राजीव भाई पिछले बीस वर्षों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे | वे भारत को पुनर्गुलामी से बचाना चाहते थे | वे उत्तरप्रदेश के नाह गाँव में जन्मे थे | उनकी प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद में हुयी उसके बाद 1984 में उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहबाद गए | वे सैटेलाईट टेलीकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे लेकिन अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़कर देश को विदेशी कंपनियों की लूट से मुक्त कराने और भारत को स्वदेशी बनाने के आन्दोलन में कूद पड़े | शुरू से वे भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे | बाद में जब उन्होंने गांधीजी को पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए |
भारत को स्वदेशी बनाने में उनका योगदान
पिछले २० वर्षों में राजीव भाई ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सीखा उसके बारे में लोगों को जाग्रत किया | अँगरेज़ भारत क्यों आये थे, उन्होंने हमें गुलाम क्यों बनाया, अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता, हमारी शिक्षा और उद्योगों को क्यों नष्ट किया, और किस तरह नष्ट किया| इस पर विस्तार से जानकारी दी ताकि हम पुनः गुलाम ना बह सकें | इन बीस वर्षों में राजीव भाई ने लगभग 15000 से अधिक व्याख्यान दिए जिनमें कुछ हमारे पास उपलब्ध हैं| आज भारत में लगभग 5000 से अधिक विदेशी कंपनियां व्यापार करके हमें लूट रही हैं| उनके खिलाफ स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की | देश में सबसे पहली स्वदेशी-विदेशी सूची की सूची तैयार करके स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया| 1991 में डंकल प्रस्तावों के खिलाफ घूम घूम कर जन जाग्रति की और रेलियाँ निकाली | कोका कोला और पेप्सी जैसे पेयों के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की |
1991-92 में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कंपनी के शराब कारखानों को बंद करवाने में भूमिका निभाई |1995-96 में टिहरी बाँध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चा और संघर्ष किया जहाँ भयंकर लाठीचार्ज में काफी चोटें आई | टिहरी पुलिस ने तो राजीव भाई को मारने की योजना भी बना ली थी| उसके बाद 1987 में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात गाँधीवादी, इतिहासकार धर्मपाल जी के सानिध्य में अंग्रेजो के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके देश को जाग्रत करने का काम किया | पिछले 10 वर्षों से परमपूज्य स्वामी रामदेवजी के संपर्क में रहने के बाद 9 जनवरी 2009 को परमपूज्य स्वामीजी के नेतृत्व में भारत स्वाभिमान आन्दोलन का जिम्मा अपने कन्धों पर ले जाते हुए 30 नवम्बर 2010 को छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में भारत स्वाभिमान की रन भूमि में शहीद हुए |
सभी देश प्रेमियों और आन्दोलन में साथ देने के इक्छुक साथियो से अनुरोध है की कृपया इस फॉर्म में अपना विवरण भर दे,
सभी का एक होना ज़रूरी है इसके लिए यह फॉर्म भरे और और इस लिंक को आगे भी प्रेषित करें I सिर्फ लिखकर नहीं करके भी दिखाना होगा
राजीव भाई भाई का आशीर्वाद तभी मिलेगा एक कर्मयोगी बनकर:
“https://docs.google.com/spreadsheet/embeddedform?formkey=dDhnOEpGc1VKWVh2NmpqNmpxRlBxekE6MQ”
Friday, September 28, 2012
Monday, April 30, 2012
स्वप्न जो सच सा है
कशमकश बहुत है
मन के अन्दर
खोज खुद की
इतनी आसन तो नहीं
इस कोशिश मे
लगता है
कुछ छुट सा रहा है
जिसको शायद मै
जाने नहीं दे सकती
प्रश्नचिंह सा लगा देता है मन
बहुत सी कोशिशो को
बहुत मजबूती से जमे
संस्कार भी रास्ता रोक लेते हैं
फिर भी एक अजीब सा
आकर्षण है
जो मुझे खिचता है
पूरे वेग से
अपनी और
पता नहीं क्या है
भविष्य की मुट्ठी मे
मेरे लिए
फिर भी चाहती हु
इस पथ पर चलते जाना
जब तक अर्थ न पा लू
इस जीवन का
या फिर जान सकू
उस रहस्य को
जिसे
आत्मा साक्षात्कार
कहा जाता है .
(चित्र गूगल से साभार )
Thursday, December 1, 2011
ए हवा तू किस शहर से आती है ?
क्यों तेरी हर लहर से उसकी महक आती है .
सबकुछ महफूज़ करने की मेरी तमाम कोशिशे ,
उस एक झोंके से फिर से बिखर जाती है .
मेरी खुशनुमा जिंदगी सिहर उठती है उस पल,
जब तेरे कण कण से उसकी बददुआ की बू आती है
क्या फिर से उसने दी है मुझे बर्बाद होने की दुआ ?
क्यों तेरी हर लहर से मुझे खंजर की बू आती है .
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