हजरों लोगो से रोज़ मिलना
जिंदगी का हिस्सा है
कभी तन्हाई मे खुद से भी मिलना
अच्छा लगता है .
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khud ko khojne ka safar
Friday, September 28, 2012
(चित्र गूगल से साभार)
दिशा हीन सा , महसूस करना खुद को ये अहसास ,झकझोर जाता है भीतर तक पर लगता है अब परिस्तितियाँ मेरे बस मे नही अतः छोड़ दिया है खुद को , स्वाभाविक बहाव के सहारे बहने को महसूस करना है सबकुछ , जो भी जिन्दगी ने लिखा है हिस्से मे मेरे I
उम्दा सोच
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।
achha laga aapko phir se dekhkar.. :)
ReplyDeletethanks shekhar
Deleteदिल के घुमड़े भाव .. बहुत सुंदर ..
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