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khud ko khojne ka safar

Thursday, October 28, 2010

ये जिन्दगी एक इम्तिहान



















नर्म मुलायम सी
खुबसूरत सी दिखती है जिन्दगी,
भीतर गर्म लावे सी पिघलती है
पल पल ये जिंदगी ,
मौहौल है मैला मैला सा
हर इंसान है भटका भटका सा,
किस से  क्या उम्मीद करूँ 
हर तरफ है मायूसी ,
हर चेहरे पर है बेचारगी 
हालात ऐसे ही बनाती है जिंदगी,
एतबार जो बहुत था खुद पर
 कतरा कतरा बिखर गया,
जाना  था किस राह मुझे
कहाँ ले आई मुझे ये जि,न्दगी
गिर के फिर से उठ कर
चलने की जिद करती हूँ,
खीचने को  वापस गर्त मे
मचलती है जिंदगी.
मुझे भी जिद है बर्बाद होने की
रोकने  से रुकुगी नहीं,
ले ले कितने भी
इम्तिहान ये जिन्दगी.

(चित्र गूगल से साभार )

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Thursday, October 7, 2010

प्रकृति की पुकार सुनो.......















आज  मे  खिड़की पर  खड़ी थी 
तेज़ी से भागते यातायात व 
आते जाते लोगो को देख रही थी
तभी मेरी नज़र 
अपने बगीचे के पेड़ पौधों पर पड़ी 
लगा जैसे वो शिकायत कर रहे हैं
और  नाराज़गी से घुर  रहे है  
जैसे कह रहे हो 
अब तुम्हरे पास हमारे  लिए वक्त ही नहीं है
पहले रोज़ प्यार से सींचा दुलारा करती थी
घंटो निहारा  करती थी 
जेहन पर एक झटका सा लगा
वाकई मे  जीवन की भाग दौड़ 
प्रकृति से दूर  करती जा  रही है
और हमें अहसास तक नहीं है 
तभी प्रकृति को  रौद्र  रूप मे 
आना  पड़ता है
कभी सुनामी बनकर 
तो कभी हमारी बुनियाद  को हिला कर
अपने  होने का अहसास करना पड़ता है

तन्हा सफ़र .......















साथ चलते तो बहुत है 
साथ होते बहुत कम है 
बहुत कम पढ़ पाते हैं 
आपकी हंसी के पीछे जो गम है 


उम्र भर साथ चलके 
वफ़ा का सबूत मांगते है हमसे
संबंधो का ये बिखरा रूप देखकर 
खुद से बहुत सर्मिन्दा आज हम है 


कुछ रिश्ते है अब भी है जीवन मे
जो मन को  अच्छे लगते हैं '
पर जीवन की  इस भागदौड़ मे 
उन  तक मेरी पहुच बहुत कम है .... 

Tuesday, October 5, 2010

उम्मीद

देखती हूँ खुद को
रोज़ अपने अस्तित्व
की लड़ाई लडते हुए ,
चाहे अनचाहे रिश्ते
लगातार ढ़ोते हुए ,
खुद के सुनाय फैसलों पर
खुद को रोते हुए ,
अपनी नाकामी छुपा कर
खुद को मुस्कुराते हुए
जतन से सजाये हुए सपनो को
टूट कर बिखरते हुए
एकाएक कुछ देख कर चौक जाती हूँ
फिर से उसे महसूस करने से घबराती हूँ
जादातर वादे जो जिन्दगी मे टूटे ,
वो सब मैंने ही खुद से किये थे ,
जादातर नाकामी की वजह ,
सिर्फ मेरी कमजोर कोशिश थी ,
हकीकत को समझ कर
फिर से संभालते हुए ,
नए सिरे से सहेजने की कोशिश
खुद को करते हुए ,
भीगी हुई आँखों को
इत्मीनान से मुस्कुराते हुए