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khud ko khojne ka safar

Tuesday, March 23, 2010

मेरा यकीन कितना सच्चा है पता नहीं,
वो सच है या धोका पता नहीं,
भर गया था उनके आने से मन का वो कोना ,
जो अब तक रहा था बहुत सूना,

हर कदम वो मेरे साथ चले ,

ऐसा हमने कभी चाहा नहीं ,

कभी कभी छोटी सी रौशनी भी बहुत होती है ,

जीवन भर वो साथ चले ये जरुरी भी नहीं,

Wednesday, March 17, 2010

एक प्यास सदा इंसान के साथ रहती है,
कुछ पा लेने की कुछ बन जाने की ,
कुछ अलग दिखने की अलग करने की,
आम से ख़ास बन सकने की प्यास,
कभी मारती है कभी जिन्दा रखती ,
बहुत अजीब सी होती है ये प्यास,
कुछ पा कर और कुछ पाने की प्यास ,
अगर ये न हो तो रुक जाता है हार जाता है इंसान ,
कभी प्यार ,कभी नफरत ,कभी दोस्त कभी दुश्मन सी
जीवन भर साथ चली ये प्यास.
छोड़ कर कल का अँधेरा ,
एक लम्बी सांस लो,
बीत गया सो बीत गया ,
आज फिर एक नयी आस लो,
रास्ता मुस्किल तो क्या,
फासला जादा तो क्या ,
मंजिल मिलेगी जरुर ,
मन मै ये विस्वास लो ,
मुझे अच्छा लगता है खुद से बातें करना,
तन्हाई मै बैठ कर खुद से सवाल जवाब करना
थक गई थी खुद को दुनिया की नज़र से देख कर,
बहुत अद्भुत था वो खुद से मिल के देखना .